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महाशिवरात्रि के दुर्लभ संयोग के बारे में... - Printable Version

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महाशिवरात्रि के दुर्लभ संयोग के बारे में... - Govind Acharya - 03-04-2019

महाशिवरात्रि के दुर्लभ संयोग के बारे में...

1. महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि का पहला दुर्लभ संयोग तो ये है कि इस वर्ष 'महाशिवरात्रि सोमवार' के दिन है। सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। सोमवार को शिवरात्रि का व्रत रखने वाले अविवाहितों का जल्द विवाह हो जाता है। इस दिन शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें तो अविवाहितों का विवाह का योग बन जाता है।



2. महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि का दूसरा दुर्लभ संयोग यह है कि मानशिवरात्रि तिथि के अनुसार सर्वश्रेष्ठ 'श्रवण नक्षत्र' का संयोग बना है। चन्द्रमा इस नक्षत्र के स्वामी हैं और शिवजी के सिर पर चंद्रमा विराजमान है और इसे भगवान विष्णु के वामन अवतार का चरण चिह्न भी माना गया है। इस नक्षत्र में शिवपुराण के अनुसार धन, वैभव, सुख और समृद्धि के लिए शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से करना चाहिए।



3. महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि का तीसरा दुर्लभ संयोग ये है कि इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 5 मार्च को है और इस दिन 'शिव योग' बन रहा है। शिवरात्रि पर शिव योग में शिव की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। शिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा में केसर युक्त दूध से शिव का अभिषेक करने से नौकरी में सफलता का योग बनता है और घर में सुख समृद्धि आती है। शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद शिवजी को भोग में खीर अर्पित करने से आत्मा को शांति, पितरों को शांति और नव गृह शांति के योग बनते हैं।



4. महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि का चौथा दुर्लभ संयोग यह है कि महाशिवरात्रि पर योगों में महायोग कहे जाने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि को सर्वसिद्धि योग भी कहा जाता है, इस योग में शिवरात्रि का व्रत भी है जिससे महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना बढ़ गया है। सर्वार्थ सिद्धि में शिवरात्रि पर शिवतांडव स्तोत्र या शिव सहस्रनाम का पाठ करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और इस सर्वसिद्धि योग में रुद्राभिषेक करने से आरोग्य जीवन प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और आपके सभी कार्य सफल होते हैं।



5. महाशिवरात्रि का दुर्लभ संयोग

महाशिवरात्रि का पांचवा दुर्लभ संयोग ये है कि शिवरात्रि का व्रत पांच मार्च को है और इस दिन 'धनिष्ठा नक्षत्र' है। वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार 'धनिष्ठा नक्षत्र' में महाशिवरात्रि पूजाविधि अनुसार करने से रंक भी राजा बन जाता है। 27 नक्षत्रों में से 23वां 'धनिष्ठा नक्षत्र' का स्वामी मंगल और देवता वसु को माना गया है। 'धनिष्ठा नक्षत्र' में शिवलिंग की पूजा में शहद, लाल चंदन और गुलाब के इत्र से पूजा करना शुभ फलदाई माना गया है। शिवलिंग का अभिषेक इन तीनों चीजों से करने से गरीब भी धनवान बन जाता है।