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सोच का खेल |
Posted by: iroffwerymoma - 11-08-2020, 11:09 PM - Forum: Share your stuff
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सोच का खेल
ये कथा घर में सबको सुनायें
एक महिला को सब्जी मण्डी जाना था..
उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मण्डी की ओर चल पड़ी...
तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी : —'कहाँ जायेंगी माता जी...?''
महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा तो ऑटो वाला आगे निकल गया.
अगले दिन महिला अपनी बिटिया मानवी को स्कूल बस में बैठाकर घर लौट रही थी...
तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी :—बहनजी चन्द्रनगर जाना है क्या...?''
महिला ने मना कर दिया...
पास से गुजरते उस ऑटोवाले को देखकर महिला पहचान गयी कि ये कल वाला ही ऑटो वाला था.
आज महिला को अपनी सहेली के घर जाना था.
वह सड़क किनारे खड़ी होकर ऑटो की प्रतीक्षा करने लगी.
तभी एक ऑटो आकर रुका :—''कहाँ जाएंगी मैडम...?''
महिला ने देखा ये वो ही ऑटोवाला है जो कई बार इधर से गुज़रते हुए उससे पूंछता रहता है चलने के लिए..
महिला बोली :— ''मधुबन कॉलोनी है ना सिविल लाइन्स में, वहीँ जाना है.. चलोगे...?''
ऑटोवाला मुस्कुराते हुए बोला :— ''चलेंगें क्यों नहीं मैडम..आ जाइये...!"
ऑटो वाले के ये कहते ही महिला ऑटो में बैठ गयी.
ऑटो स्टार्ट होते ही महिला ने जिज्ञासावश उस ऑटोवाले से पूंछ ही लिया :—''भैय्या एक बात बताइये..?-
दो-तीन दिन पहले आप मुझे माताजी कहकर चलने के लिए पूंछ रहे थे,
कल बहनजी और आज मैडम, ऐसा क्यूँ...?''
ऑटोवाला थोड़ा झिझककर शरमाते हुए बोला :—''जी सच बताऊँ... आप चाहे जो भी समझेँ पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है.
आप दो-तीन दिन पहले साड़ी में थीं तो एकाएक मन में आदर के भाव जागे,
क्योंकि,
मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती है.
इसीलिए मुँह से स्वयं ही "माताजी'" निकल गया.
कल आप सलवार-कुर्ती में थीँ, जो मेरी बहन भी पहनती है
इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव मन में जागा और मैंने ''बहनजी'' कहकर आपको आवाज़ दे दी.
आज आप जीन्स-टॉप में हैं, और इस लिबास में माँ या बहन के भाव तो नहीँ जागते.
इसीलिए मैंने आपको "मैडम" कहकर पुकारा.
कथासार
हमारे परिधान का न केवल हमारे विचारों पर वरन दूसरे के भावों को भी बहुत प्रभावित करता है.
टीवी, फिल्मों या औरों को देखकर पहनावा ना बदलें, बल्कि विवेक और संस्कृति की ओर भी ध्यान दें.
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एक पागल भिखारी? |
Posted by: jehnzyndexty1007 - 11-08-2020, 06:51 AM - Forum: Share your stuff
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दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ॥३-४॥
[दुर्जनस्य च सर्पस्य वरम् सर्पः न दुर्जनः, सर्पः दंशति काले तु, दुर्जनः तु पदे पदे ।]
अर्थ – दुर्जन मनुष्य एवं सांप में सांप ही अपेक्षया बेहतर है। सांप तो तब डंसता है जब समय वैसी परिस्थिति आ पड़े, किंतु दुर्जन तो पग-पग पर नुकसान पहुंचाता है।
दुर्जन वह है जिसके स्वभाव में सकारण-अकारण दूसरों को हानि पहुंचाना निहित होता है। जब भी मौका मिले वह दूसरे का अहित साधने में चूकता नहीं भले ही ऐसा करने में उसका कोई लाभ न हो। सांप ऐसी योजना नहीं बनाता; वह तो केवल अपने बचाव में डंसता है आवश्यक हो जाने पर।
एक पागल भिखारी
जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने के लिए छोड़ दे ।
क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर।
मराठी भाषा से हिन्दी ट्रांसलेशन की गई ये सच्ची कथा है ।
जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा।समय निकालकर अवश्य पढ़ें।
?
हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था। स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े थे।
अनायाश सहज ही मेरा ध्यान गया एक बुजुर्ग की तरफ गया, जो करीब ही एक पत्थर पर बैठे हुए थे। सीधी नाक, घुँघराले बाल, निस्तेज आँखे, जिस्म पर सादे, लेकिन साफ सुथरे कपड़े।
कुछ देर तक उन्हें देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि, वो भिखारी नहीं हैं। उनका दाँया पैर टखने के पास से कटा हुआ था, और करीब ही उनकी बैसाखी रखी थी।
फिर मैंने देखा कि,आते जाते लोग उन्हें भी कुछ दे रहे थे और वे लेकर रख लेते थे। मैंने सोचा ! कि मेरा ही अंदाज गलत था, वो बुजुर्ग भिखारी ही हैं।
उत्सुकतावश मैं उनकी तरफ बढ़ा तो कुछ लोगों ने मझे आवाज लगाई :
"उसके करीब ना जाएँ डॉक्टर साहब,
वो बूढा तो पागल है । "
लेकिन मैं उन आवाजों को नजरअंदाज करता, मैं उनके पास गया। सोचा कि, जैसे दूसरों के सामने वे अपना हाथ फैला रहे थे, वैसे ही मेरे सामने भी हाथ करेंगे, लेकिन मेरा अंदाज फिर चूक गया। उन्होंने मेरे सामने हाथ नहीं फैलाया।
मैं उनसे बोला : "बाबा, आपको भी कोई शारीरिक परेशानी है क्या ? "
मेरे पूछने पर वे अपनी बैसाखी के सहारे धीरे से उठते हुए बोले : "Good afternoon doctor...... I think I may have some eye problem in my right eye .... "
इतनी बढ़िया अंग्रेजी सुन मैं अवाक रह गया। फिर मैंने उनकी आँखें देखीं।
पका हुआ मोतियाबिंद था उनकी ऑखों में ।
मैंने कहा : " मोतियाबिंद है बाबा, ऑपरेशन करना होगा। "
बुजुर्ग बोले : "Oh, cataract ?
I had cataract operation in 2014 for my left eye in Ruby Hospital."
मैंने पूछा : " बाबा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं ? "
बुजुर्ग : " मैं तो यहाँ, रोज ही 2 घंटे भीख माँगता हूँ सर" ।
मैं : " ठीक है, लेकिन क्यों बाबा ? मुझे तो लगता है, आप बहुत पढ़े लिखे हैं। "
बुजुर्ग हँसे और हँसते हुए ही बोले : "पढ़े लिखे ?? "
मैंने कहा : "आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं, बाबा। "
बाबा : " Oh no doc... Why would I ?... Sorry if I hurt you ! "
मैं : " हर्ट की बात नहीं है बाबा, लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। "
बुजुर्ग : " समझकर भी, क्या करोगे डॉक्टर ? "
अच्छा "ओके, चलो हम, उधर बैठते हैं, वरना लोग तुम्हें भी पागल हो कहेंगे। "(और फिर बुजुर्ग हँसने लगे)
करीब ही एक वीरान टपरी थी। हम दोनों वहीं जाकर बैठ गए।
" Well Doctor, I am Mechanical Engineer...."--- बुजुर्ग ने अंग्रेजी में ही शुरुआत की--- "
मैं, *** कंपनी में सीनियर मशीन ऑपरेटर था।
एक नए ऑपरेटर को सिखाते हुए, मेरा पैर मशीन में फंस गया था, और ये बैसाखी हाथ में आ गई। कंपनी ने इलाज का सारा खर्चा किया, और बाद में कुछ रकम और सौंपी, और घर पर बैठा दिया। क्योंकि लंगड़े बैल को कौन काम पर रखता है सर ? "
"फिर मैंने उस पैसे से अपना ही एक छोटा सा वर्कशॉप डाला। अच्छा घर लिया। बेटा भी मैकेनिकल इंजीनियर है। वर्कशॉप को आगे बढ़ाकर उसने एक छोटी कम्पनी और डाली। "
मैं चकराया, बोला : " बाबा, तो फिर आप यहाँ, इस हालत में कैसे ? "
बुजुर्ग : " मैं...?
किस्मत का शिकार हूँ ...."
" बेटे ने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए, कम्पनी और घर दोनों बेच दिए। बेटे की तरक्की के लिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। सब कुछ बेच बाचकर वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जापान चला गया, और हम जापानी गुड्डे गुड़िया यहाँ रह गए। "
ऐसा कहकर बाबा हँसने लगे। हँसना भी इतना करुण हो सकता है, ये मैंने पहली बार अनुभव किया।
फिर बोला : " लेकिन बाबा, आपके पास तो इतना हुनर है कि जहाँ लात मारें वहाँ पानी निकाल दें। "
अपने कटे हुए पैर की ओर ताकते बुजुर्ग बोले : " लात ? कहाँ और कैसे मारूँ, बताओ मुझे ? "
बाबा की बात सुन मैं खुद भी शर्मिंदा हो गया। मुझे खुद बहुत बुरा लगा।
प्रत्यक्षतः मैं बोला : "आई मीन बाबा, आज भी आपको कोई भी नौकरी दे देगा, क्योंकि अपने क्षेत्र में आपको इतने सालों का अनुभव जो है। "
बुजुर्ग : " Yes doctor, और इसी वजह से मैं एक वर्कशॉप में काम करता हूँ। 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है मुझे। "
मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं बोला :
"तो फिर आप यहाँ कैसे ? "
बुजुर्ग : "डॉक्टर, बेटे के जाने के बाद मैंने एक चॉल में एक टीन की छत वाला घर किराए पर लिया। वहाँ मैं और मेरी पत्नी रहते हैं। उसे Paralysis है, उठ बैठ भी नहीं सकती। "
" मैं 10 से 5 नौकरी करता हूँ । शाम 5 से 7 इधर भीख माँगता हूँ और फिर घर जाकर तीनों के लिए खाना बनाता हूँ। "
आश्चर्य से मैंने पूछा : " बाबा, अभी तो आपने बताया कि, घर में आप और आपकी पत्नी हैं। फिर ऐसा क्यों कहा कि, तीनों के लिए खाना बनाते हो ? "
बुजुर्ग : " डॉक्टर, मेरे बचपन में ही मेरी माँ का स्वर्गवास हो गया था। मेरा एक जिगरी दोस्त था, उसकी माँ ने अपने बेटे जैसे ही मुझे भी पाला पोसा। दो साल पहले मेरे उस जिगरी दोस्त का निधन हार्ट अटैक से हो गया तो उसकी 92 साल की माँ को मैं अपने साथ अपने घर ले आया तब से वो भी हमारे साथ ही रहती है। "
मैं अवाक रह गया। इन बाबा का तो खुद का भी हाल बुरा है। पत्नी अपंग है। खुद का एक पाँव नहीं, घरबार भी नहीं,
जो था वो बेटा बेचकर चला गया, और ये आज भी अपने मित्र की माँ की देखभाल करते हैं।
कैसे जीवट इंसान हैं ये ?
कुछ देर बाद मैंने समान्य स्वर में पूछा : " बाबा, बेटा आपको रास्ते पर ले आया, ठोकरें खाने को छोड़ गया। आपको गुस्सा नहीं आता उस पर ? "
बुजुर्ग : " No no डॉक्टर, अरे वो सब तो उसी के लिए कमाया था, जो उसी का था, उसने ले लिया। इसमें उसकी गलती कहाँ है ? "
" लेकिन बाबा "--- मैं बोला "लेने का ये कौन सा तरीका हुआ भला ? सब कुछ ले लिया। ये तो लूट हुई। "
" अब आपके यहाँ भीख माँगने का कारण भी मेरी समझ में आ गया है बाबा। आपकी तनख्वाह के 8000 रुपयों में आप तीनों का गुजारा नहीं हो पाता अतः इसीलिए आप यहाँ आते हो। "
बुजुर्ग : " No, you are wrong doctor. 8000 रुपए में मैं सब कुछ मैनेज कर लेता हूँ। लेकिन मेरे मित्र की जो माँ है, उन्हें, डाइबिटीज और ब्लडप्रेशर दोनों हैं। दोनों बीमारियों की दवाई चल रही है उनकी। बस 8000 रुपए में उनकी दवाईयां मैनेज नहीं हो पाती । "
" मैं 2 घंटे यहाँ बैठता हूँ लेकिन भीख में पैसों के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करता। मेडिकल स्टोर वाला उनकी महीने भर की दवाएँ मुझे उधार दे देता है और यहाँ 2 घंटों में जो भी पैसे मुझे मिलते हैं वो मैं रोज मेडिकल स्टोर वाले को दे देता हूँ। "
मैंने अपलक उन्हें देखा और सोचा, इन बाबा का खुद का बेटा इन्हें छोड़कर चला गया है और ये खुद किसी और की माँ की देखभाल कर रहे हैं।
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन खुद की आँखें भर आने से नहीं रोक पाया।
भरे गले से मैंने फिर कहा : "बाबा, किसी दूसरे की माँ के लिए, आप, यहाँ रोज भीख माँगने आते हो ? "
बुजुर्ग : " दूसरे की ? अरे, मेरे बचपन में उन्होंने बहुत कुछ किया मेरे लिए। अब मेरी बारी है। मैंने उन दोनों से कह रखा है कि, 5 से 7 मुझे एक काम और मिला है। "
मैं मुस्कुराया और बोला : " और अगर उन्हें पता लग गया कि, 5 से 7 आप यहाँ भीख माँगते हो, तो ? "
बुजुर्ग : " अरे कैसे पता लगेगा ? दोनों तो बिस्तर पर हैं। मेरी हेल्प के बिना वे करवट तक नहीं बदल पातीं। यहाँ कहाँ पता करने आएँगी.... हा....हा... हा...."
बाबा की बात पर मुझे भी हँसी आई। लेकिन मैं उसे छिपा गया और बोला : " बाबा, अगर मैं आपकी माँ जी को अपनी तरफ से नियमित दवाएँ दूँ तो ठीक रहेगा ना। फिर आपको भीख भी नहीं मांगनी पड़ेगी। "
बुजुर्ग : " No doctor, आप भिखारियों के लिए काम करते हैं। माजी के लिए आप दवाएँ देंगे तो माजी भी तो भिखारी कहलाएंगी। मैं अभी समर्थ हूँ डॉक्टर, उनका बेटा हूँ मैं। मुझे कोई भिखारी कहे तो चलेगा, लेकिन उन्हें भिखारी कहलवाना मुझे मंजूर नहीं। "
" OK Doctor, अब मैं चलता हूँ। घर पहुँचकर अभी खाना भी बनाना है मुझे। "
मैंने निवेदन स्वरूप बाबा का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला : " बाबा, भिखारियों का डॉक्टर समझकर नहीं बल्कि अपना बेटा समझकर मेरी दादी के लिए दवाएँ स्वीकार कर लीजिए। "
अपना हाथ छुड़ाकर बाबा बोले : " डॉक्टर, अब इस रिश्ते में मुझे मत बांधो, please, एक गया है, हमें छोड़कर...."
" आज मुझे स्वप्न दिखाकर, कल तुम भी मुझे छोड़ गए तो ? अब सहन करने की मेरी ताकत नहीं रही...."
ऐसा कहकर बाबा ने अपनी बैसाखी सम्हाली। और जाने लगे, और जाते हुए अपना एक हाथ मेरे सिर पर रखा और भर भराई, ममता मयी आवाज में बोले : "अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे..."
शब्दों से तो उन्होंने मेरे द्वारा पेश किए गए रिश्ते को ठुकरा दिया था लेकिन मेरे सिर पर रखे उनके हाथ के गर्म स्पर्श ने मुझे बताया कि, मन से उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकारा था।
उस पागल कहे जाने वाले मनुष्य के पीठ फेरते ही मेरे हाथ अपने आप प्रणाम की मुद्रा में उनके लिए जुड़ गए।
हमसे भी अधिक दुःखी, अधिक विपरीत परिस्थितियों में जीने वाले ऐसे भी लोग हैं।
हो सकता है इन्हें देख हमें हमारे दु:ख कम प्रतीत हों, और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बदले....
हमेशा अच्छा सोचें, हालात का सामना करे...।
कहानी से आंखें नम हुई हो तो एक बार उत्साहवर्धन जरूर करें एवं अधिक से अधिक शेयर करें।
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उपयोगी टिप्स: |
Posted by: iroffwerymoma - 11-04-2020, 03:28 AM - Forum: Share your stuff
- No Replies
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उपयोगी टिप्स:
[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे |
[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है |
[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं |
[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा |
[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है |
[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा |
[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी |
[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी |
[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें |
[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें |
[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी |
ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी |
Kuchh vaastu tips????
?१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
?२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
?३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1
?४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
?५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
?६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
?७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
?८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
?९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
?१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं |
?११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
?१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
?१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |
?१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |
"पानी पीने का सही वक़्त".
(1) 3 गिलास सुबह उठने के बाद,
.....अंदरूनी उर्जा को Activate
करता है...
(2) 1 गिलास नहाने के बाद,
......ब्लड प्रेशर का खात्मा करता है...
(3) 2 गिलास खाने से 30 Minute पहले,
........हाजमे को दुरुस्त रखता है..
(4) आधा गिलास सोने से पहले,
......हार्ट अटैक से बचाता है..
यह बहुत अच्छा Msg है
Please इसे सब ग्रुपस में Frwd कर दिया जाये, नहीं आ सकता दुबारा क्योंकि इस साल फरवरी में चार रविवार, चार सोमवार, चार मंगलवार, चार बुधवार, चार बृहस्पतिवार, चार शुक्रवार, चार शनिवार.
यह प्रत्येक 823 साल में एक बार होता है।
यह धन की पोटली कहलाता है।
इसलिए कम से कम पाँच लोगों को या पाँच ग्रुप में भेजें और पैसा चार दिन में आयेगा।
चाॅयनिज पर आधारित है।
पढ़ने के 1 1 मिनट के अंदर भेजें |
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शयन के नियम !!!!!!! |
Posted by: iroffwerymoma - 11-03-2020, 03:08 AM - Forum: Share your stuff
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शयन के नियम !!!!!!!
1. सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए। (मनुस्मृति)
2. किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। (विष्णुस्मृति)
3. विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल, यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए। (चाणक्यनीति)
4. स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। (देवीभागवत) बिल्कुल अँधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए। (पद्मपुराण)
5. भीगे पैर नहीं सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। (अत्रिस्मृति) टूटी खाट पर तथा जूठे मुँह सोना वर्जित है। (महाभारत)
6. "नग्न होकर/निर्वस्त्र" नहीं सोना चाहिए। (गौतम धर्म सूत्र)
7. पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु तथा दक्षिण की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। (आचारमय़ूख)
8. दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। परन्तु ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय 1 मुहूर्त (48 मिनट) के लिए सोया जा सकता है। (दिन में सोने से रोग घेरते हैं तथा आयु का क्षरण होता है)
9. दिन में तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है। (ब्रह्मवैवर्तपुराण)
10. सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद ही शयन करना चाहिए।
11. बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर है।
12. दक्षिण दिशा में पाँव करके कभी नहीं सोना चाहिए। यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है, स्मृति- भ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है।
13. हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचे और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें।
14. शय्या पर बैठकर खाना-पीना अशुभ है।
15. सोते सोते पढ़ना नहीं चाहिए। (ऐसा करने से नेत्र ज्योति घटती है )
16. ललाट पर तिलक लगाकर सोना अशुभ है। इसलिये सोते समय तिलक हटा दें।
इन १६ नियमों का अनुकरण करने वाला यशस्वी, निरोग और दीर्घायु हो जाता है।
नोट :- यह सन्देश जन जन तक पहुँचाने का प्रयास करें। ताकि सभी लाभान्वित हों !
जय सनातन धर्म,जय सनातन संस्कृति और शिक्षा।
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आप ये कार्तिक माह जरूर करें: प्रेषक- स्वाति जायसवाल |
Posted by: admin - 10-31-2020, 08:41 PM - Forum: Share your stuff
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आप ये कार्तिक माह जरूर करें
हरे कृष्ण
जय गुरुदेव
आप ये कार्तिक माह जरूर करें
31/10/2020 से 30/11/2020 तक जरूर करें
1- नित्य रात्रि के अन्तिम प्रहर में उठना।
2- स्नान करना।
3- ठाकुर जी को जगा कर आरती करना।
4- तुलसी महारानी को जल से सिंचित करके तुलसी वन्दना करना। (नमो नमः तुलसी कृष्णप्रेयसी..)
5- प्रभु के पवित्र नाम का कीर्तन करना।
हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
तो संख्या बढ़ाकर जप करना अर्थात्
अन्य मास में जितनी माला करते
थे उससे बढ़ाकर या दोगुनी करना
(1 करते थे तो 2 करना, 4 करते थे तो 8 करना, 16 करते थे तो 32 करना)
जप माला पर ही करना चाहिए
6- तुलसी, मालती, कमल व सुगंधित पुष्पों से श्री दामोदर की पूजा-अर्चना करना।
7- प्रतिदिन भगवान् की कथा का श्रवण करना, श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ अर्थ सहित कुछ इस प्रकार करना, कि कार्तिक मास में पूर्ण हो जाये भागवतम पढ़ना चाहिए सुनना चाहिए कृष्ण कथा का श्रवण करना चाहिए ही
8- प्रतिदिन दिन रात देसी घी या तिल-तेल का दीपक जला कर अर्चना करना।
9- अन्य मास में जो भोग निवेदन करते हैं उसके अलावा विशेष भोग प्रभु को लगाना। जो कभी प्रभु को भोग नहीं निवेदन करते वे भी इस मास में निवेदन करें।
10- एकभुक्त रहना अर्थात् मात्र एक बार भोजन करना। मौन रह कर भोजन करना।
11.पूरे कार्तिक माह में रोज श्री हरि विष्णु औऱ कृष्ण को तुलसी पत्र जरूर चढ़ाना चाहिए ओर चंदन भी लगाना चाहिए जो पूरे कार्तिक माह में तुलसी पत्र और कमल पुष्प चढ़ाता है वो कृष्ण को बहुत प्रिय होता है और वो कृष्ण के धाम वैकुंठ वास करता है|
12- दीप दान का विशेष महत्व है। विष्णु के निकट, देवालय में, तुलसी महारानी के समक्ष व, नदी, सरोवर के निकट, गोशाला में, राधा कृष्ण के निकट, गंगा, यमुना नदी में दीप दान करें आकाश-दीप प्रज्वलित करना।
13. जो कार्तिक माह की कार्तिक पूर्णिमा को 108 दीपक घी या तिल के तेल के यमुना जी मे या कोई भी आपके पास नदी में छोड़ता है या राधा कृष्ण के मंदिर में लगता है आटे के या मट्टी के दीये में तो वो ओर उसके पित्र और सारा कुल तर जाता है और वो कृष्ण के धाम जाता है|
14.कार्तिक माह राधा रानी कृष्ण को बहुत ज्यादा प्रिय है इस मास में जो भी करोगे उसका फल 10 लाख गुना ज्यादा बढ़कर मिलता है जैसे हरे कृष्ण मंत्र का जप, दीप दान, व्रत का, धाम वास का, वृंदावन परिक्रमा करने का,वृंदावन की रज का रोज तिलक लगाना, गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का, कार्तिक माह का व्रत करने का, इस माह में भागवत कथा पढ़ने सुनने का, भगवत गीता सुनने का, कृष्ण की कथा सुनने का उनकी किताब को किसी को देने का , कृष्ण भक्ति का प्रचार करने का फल 10 लाख गुना ज्यादा बढ़कर मिलता है तो कुछ तो जरूर करें राधा कृष्ण के प्रेम और भक्ति पाने के लिए जरूर करें कार्तिक मास को व्यर्थ नहीं जाने दे इसका पूरा लाभ प्राप्त करे|
15. कार्तिक माह में गाय की सेवा करना गाय को गुड़ और हरा चारा और पालक खिलाना चाहिए जो गो माता की सेवा और गो माता की रोज परिक्रमा करता है गो माता के चरणों के खुर की जो रोज रज लगता है वो तो गोलोक वैकुण्ठ जाता है क्योंकि गोपाल को गौ (गाय) बहुत ज्यादा प्रिय है |
जय राधा दामोदर भगवान की
जय श्रील प्रभुपाद
जय वृन्दावन धाम
जय कार्तिक मास
हरे कृष्ण आप से करबध्द निवेदन है कि यथा संभव सभी नियमों का पालन करे, नही तो कम से कम दीपदान संध्या के समय अवश्य करें, एंव दुसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
हरिबोल जय राधा माधव
प्रेषक: स्वाति जायसवाल
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Indian Premier League 30th Match DELHI CAPITALS Vs RAJASTHAN ROYALS |
Posted by: admin - 10-14-2020, 08:00 PM - Forum: IPL T-20
- Replies (8)
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Indian Premier League
30th Match, DUBAI, Oct 14 2020, IST 07:30 PM UAE 6 PM
DELHI CAPITALS Vs RAJASTHAN ROYALS
When more runs will be scored wicket will fall who win the match all updates soon in comments below.
IPL T20
Match Report:
Why Cricket Predictions by astrology?
Yes it is challenging difficult many calculations required to know which team will win. This work is only to show that Astrology is accurate and scientific and can't go wrong, yes but the astrologer may go wrong if does wrong calculations and mistakes in giving predictions by reading horoscope charts.
OPEN FOR ALL. FREE CRICKET PREDICTIONS ONLY FOR ENTERTAINMENT
Astrology can be used for any good cause in life. Be positive and find right ways. Good Karma is the only key to success in life.
We see DELHI CAPITALS won the toss and chose to bat.
Today's Prediction: In today's match possibility of winning DELHI CAPITALS is more than RAJASTHAN ROYALS.
Few points will be covered everyday.
1. Which team will have big partnership in scoring runs.
2. Today more catch out / run out or bold.
3. Which team hit more 4s and 6s.
4. Which team will have good bowler with best economy for today.
5. Which team will have good batsman and score high.
Please do not miss to check on main post, sometimes in replies you will get only wicket fall and high score predictions. Who will win in beginning of the post.
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Indian Premier League 29th Match SUNRISERS HYDERABAD Vs CHENNAI SUPER KINGS |
Posted by: admin - 10-13-2020, 09:09 AM - Forum: IPL T-20
- No Replies
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Indian Premier League
29th Match, DUBAI, Oct 13 2020, IST 07:30 PM UAE 6 PM
SUNRISERS HYDERABAD Vs CHENNAI SUPER KINGS
When more runs will be scored wicket will fall who win the match all updates soon in comments below.
IPL T20
Match Report:
Why Cricket Predictions by astrology?
Yes it is challenging difficult many calculations required to know which team will win. This work is only to show that Astrology is accurate and scientific and can't go wrong, yes but the astrologer may go wrong if does wrong calculations and mistakes in giving predictions by reading horoscope charts.
OPEN FOR ALL. FREE CRICKET PREDICTIONS ONLY FOR ENTERTAINMENT
Astrology can be used for any good cause in life. Be positive and find right ways. Good Karma is the only key to success in life.
We see CHENNAI SUPER KINGS won the toss and chose to bat.
Today's Prediction: In today's match possibility of winning CHENNAI SUPER KINGS is more than SUNRISERS HYDERABAD.
Few points will be covered everyday.
1. Which team will have big partnership in scoring runs.
2. Today more catch out / run out or bold.
3. Which team hit more 4s and 6s.
4. Which team will have good bowler with best economy for today.
5. Which team will have good batsman and score high.
Please do not miss to check on main post, sometimes in replies you will get only wicket fall and high score predictions. Who will win in beginning of the post.
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Govt bans 59 Chinese apps including TikTok, UC Browser, Shein, Helo, Likee, WeChat, |
Posted by: baregorasjnry505 - 10-05-2020, 06:57 AM - Forum: Share your stuff
- No Replies
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Govt bans 59 Chinese apps including TikTok, UC Browser, Shein, Helo, Likee, WeChat, Shareit
In a major decision, the government on Monday banned at least 59 Chinese apps including TikTok. Many popular apps like Shareit, Helo, Shein, Likee, WeChat, UC Browser also figured among the list of the banned Chinese apps. The decision, aimed at "safeguarding" the interests of crores of Indian mobile and internet users, is a targeted move to ensure the safety and sovereignty of Indian cyberspace, the Ministry of Electronics, and Information Technology said in the official notification.
FULL LIST OF CHINESE APPS BANNED BY GOVT:
1. TikTok
2. Shareit
3. Kwai
4. UC Browser
5. Baidu map
6. Shein
7. Clash of Kings
8. DU battery saver
9. Helo
10. Likee
11. YouCam makeup
12. Mi Community
13. CM Browers
14. Virus Cleaner
15. APUS Browser
16. ROMWE
17. Club Factory
18. Newsdog
19. Beutry Plus
20. WeChat
21. UC News
22. QQ Mail
23. Weibo
24. Xender
25. QQ Music
26. QQ Newsfeed
27. Bigo Live
28. SelfieCity
29. Mail Master
30. Parallel Space 31. Mi Video Call – Xiaomi
32. WeSync
33. ES File Explorer
34. Viva Video – QU Video Inc
35. Meitu
36. Vigo Video
37. New Video Status
38. DU Recorder
39. Vault- Hide
40. Cache Cleaner DU App studio
41. DU Cleaner
42. DU Browser
43. Hago Play With New Friends
44. Cam Scanner
45. Clean Master – Cheetah Mobile
46. Wonder Camera
47. Photo Wonder
48. QQ Player
49. We Meet
50. Sweet Selfie
51. Baidu Translate
52. Vmate
53. QQ International
54. QQ Security Center
55. QQ Launcher
56. U Video
57. V fly Status Video
58. Mobile Legends
59. DU Privacy
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Indian Premier League 10th Match ROYAL CHALLENGERS BANGALORE Vs MUMBAI INDIANS |
Posted by: admin - 09-28-2020, 09:57 AM - Forum: IPL T-20
- Replies (3)
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Indian Premier League
10th Match, DUBAI, Sep 28 2020, IST 07:30 PM UAE 6 PM
ROYAL CHALLENGERS BANGALORE Vs MUMBAI INDIANS
When more runs will be scored wicket will fall who win the match all updates soon in comments below.
On the basis of giving prediction about cricket match is really difficult it need lots of calculations. Yesterday we seen example of it. In everyday life anybody can say this team will or another team will win and may got correct but telling with the help of astrology is a challenging job. Yesterday sir told batting of 1st team is strong they can score good as they are playing with run rate of 11 per over but it is not enough if they don't score more than 225 because second team is strong enough too and can chase the target easily. Chart were checked again and sir finalized the result. When we messaged to sir that our today's prediction got wrong sir said happily " that is up to us we chosen wrong team in last but I am happy that we did accurate calculations." Stay safe stay healthy just enjoy the match and our free predictions.
IPL T20
We see MUMBAI INDIANS won the toss and chose to field.
In today's match possibility of winning ROYAL CHALLENGERS BANGALORE is more than MUMBAI INDIANS.
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पुरुषोत्तम व्रत का पालन कैसे करें क्या करें क्या नही करें, कैसे करें कौंन से मंत्र का |
Posted by: स्वाति - 09-18-2020, 07:45 PM - Forum: Share your stuff
- No Replies
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पुरुषोत्तम व्रत का पालन कैसे करें क्या करें क्या नही करें, कैसे करें कौंन से मंत्र का जप करें.
नियम
- एक महीने तक ब्रह्मचर्य का पालन करें। (फर्श पर सोए- वैकल्पिक)।
- सूर्योदय से पहले स्नान करें (धाम में करना उत्तम है या महीने में कम से कम 3 दिन)।
- हरे कृष्ण महामन्त्र का जप करें
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
रोज सुबह शाम तुलसी जी की 4 या 7 परिक्रमा करे दीया लगाएं
और कृष्ण के रूप, गुण और लीलाओं का ध्यान करें। प्रतिदिन 16 माला तो करते ही है उसके अतिरिक्त माला का जप करें
जैसे: 24, 32 या 64 माला
- राधा-कृष्ण के विग्रह या चित्र को घी का दीपक अर्पित करें। प्रतिदिन 33 दीपक या महीने में कम से कम 1 दिन ऐसा करें।
- प्रतिदिन तुलसी देवी की आरती और परिक्रमा करें।
- प्रतिदिन मंदिर की परिक्रमा करें (4 बार)।
- प्रतिदिन राधा-कृष्ण के विग्रह या चित्र को गुलाब, कमल के फूल और 100,000 तुलसी पत्र या जितनी भी हो सके अर्पित करें
- प्रतिदिन श्रीमद्भागवतम का अध्ययन करें, विशेषतः भगवान ब्रह्मा की कृष्ण के प्रति प्रार्थना (स्कन्ध 10, अध्याय 14), एवं भगवद्गीता (अध्याय 15) पढ़ें
- श्री जगन्नाथष्टकम्, श्री चौरग्रगण्यपुरुषाष्टकम् , श्री नन्दनन्दनाष्टकम्, जय राधा माधव एवं अन्य राधा-कृष्ण भजन और प्रार्थना कर सकते हैं
- पूरे महीने शांतिपूर्ण और सत्यवादी रहने का संकल्प लें।
- इस व्रत का पालन करने वाले किसी भी भक्त, ब्राह्मण, संत, गाय, शास्त्र या लोगों को दोष देने से बचें
- अपनी क्षमताओं के अनुसार भक्तिमय तपस्या करके राधा और कृष्ण को प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करें
- फर्श पर बैठकर पत्तों के बर्तन में भोजन खाएँ।(वैकल्पिक)
- बाल या नाखून नहीं काटना (वैकल्पिक)
- खाना पकाने में तेल का प्रयोग न करें या अपने शरीर पर तेल मालिश न करें
- सरसों का तेल न ही खाएँ और न ही लगाएँ
- भगवान श्रीकृष्ण या वैष्णवों को प्रतिदिन 33 बार दंडवत प्रणाम अर्पण करें ?
आहार: सूर्यास्त के बाद दिन में एक बार खाना खाये या दोपहर का भोजन ले। निम्नलिखित भोजन ले :
1. केवल दूध
2. केवल फल (ना दूध, ना सब्जियां)
3. अनाज नहीं(चयनित सब्जियां, फल, सूखे मेवे, दूध)
4. चयनित खाद्य पदार्थ (सभी श्रेणियों चातुर्मास के अनुसार हैं) नही कर सकते तो व्रत जैसे बने वैसे कर सकते है
हरि-भक्ति-विलास: “पुरुषोत्तम मास के दौरान, भगवान का स्मरण करना चाहिए और फिर घी में पकी हुई 33 मिठाइयाँ गृहस्थ ब्राह्मणों को दान देनी चाहिए, जो अच्छी तरह से शास्त्रों में पारंगत हो। ऐसा करने में जो विफल होते है, पिछले वर्षों में जमा की गई सभी पवित्रता को व्यक्ति खो देता है। ” ?
कौण्डिन्य मुनि के निम्नलिखित मंत्र का पाठ कर सकते हैं: गोवर्धन-धरम वन्दे, गोपालम् गोप-रुपीनं, गोकुलोत्सवम् ईशानम्, गोविन्दम गोपिका-प्रियम।
भक्तिविनोद ठाकुर: निरपेक्ष व्रत का पालन करें, जिसका अर्थ है राधा-गोविंद की 30 दिनों के लिए अत्यधिक ध्यानपूर्वक, एकाग्रचित्त होकर उपासना और सेवा करना, उनके दिव्य नाम, रूप, गुण, लीलाओं का स्मरण तथा जप करना। दिन रात भगवान श्रीकृष्ण के विषय में सुनना, हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना और केवल महाप्रसाद जैसे जो भी खाएं कृष्ण को भोग लगा ही लेना चाहिए। ?
हम लोगों को इस पुरुषोत्तम मास में जप शुरू करने की सलाह दे रहे हैं। ताकि वे एक बिल्ली या कुत्ते या किसी और योनि में वापस न आएं। बल्कि बेहतर होगा कि वे वापस ही न आएं, आध्यात्मिक जगत को लौट जाएँ। जहाँ ना बुढ़ापा है, ना बीमारी, ना मृत्यु, ना ही जन्म है। तो इस महीने को स्मार्त संस्कारों के लिए संस्तुत नहीं किया गया है, न ही विवाह इत्यादी के लिए। स्मार्त (ब्राह्मणों) को यह महीना पसंद नहीं है। लेकिन यह महीना आध्यात्मिक सुकृति लेने के लिए विशेष रूप से अच्छा है। ?
इस अधिक मास में ग्रन्थों का दान करे जैसे भागवतम, गीता, या कोई भी कृष्ण की किताब आपके पास के सेंटर इस्कॉन मंदिर में मिल जाएगी श्रील प्रभुपाद जी लिखी गई कृष्ण की बुक्स को जरूर दान करे क्योंकि ग्रंथ दान महा दान है इसको पढ़ कर वो स्वतः इतना ज्ञान प्राप्त कर लेगा की वो खुद ही कुछ भी कर सकता है उसके अंदर ज्ञान होगा तो वो कुछ भी कर के भोजन की पूर्ति कर लेगा ही इसलिए ज्ञान दान करे|
आप और भी कही से जो भी पुस्तक दान करना चाहते है कर सकते है पर करे कृष्ण की गोविंद की महिमा पर ही जिससे उसमे कृष्ण प्रेम भक्ति बड़े और वो वापस कृष्ण के भगवत धाम वैकुंठ धाम जा सके हरे कृष्ण
पुरुषोत्तम मास की महिमा पर ये करें.
प्रेषक: स्वाति जायसवाल
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नरेद्र मोदी जी ने दाढी क्यों बढाई, कब काटेंगें???? |
Posted by: admin - 09-06-2020, 11:37 AM - Forum: Share your stuff
- No Replies
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नरेद्र मोदी जी ने दाढी क्यों बढाई, कब काटेंगें????
भारत का सीक्रेट मिशन, जिसने चीन से छुडाई कब्जाई जमीन
जानिए मोदी जी क्या है प्रतिज्ञा???
मैनें पहले भी मोदी जी की दाढी का रहस्य का हिंट लिखा था , किन्तु आज खुलासे का समय आ गया है, सो खोल रहा हूं ၊
मोदी जी अपनी अगली पूजा अर्चना अब वो कैलाश मानसरोवर पर्वत पर करेगें.
शिव स्थली को पुनः प्राप्त करने के राजसूय यज्ञ की ओर बढ़ रहा हिन्दुराजा...... नर + इंद्र मोदी....
जिस प्रकार राम मंदिर निर्माण कार्य से पूर्व मोदी जी अयोध्या नगरी नहीं गये थे, क्योंकि उन्होंने शपथ ली थी , ठीक उसी प्रकार नरेंद्र मोदी जी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी नही गए, जबकि वो शिव जी के परम भक्तों में हैं ၊
ये चीन से अक्साई भारत पुनः प्राप्त करने के बाद ही बाबा शिव के दर्शनार्थ कैलाश मानसरोवर पूजा अर्चना के लिए जाएंगे
चीन के विघटन की तैयारी करता हिन्दुराजा नरेंद्र मोदी....
18देशों के गुप्त साथ के समर्थन के बाद अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को पुनः सत्ता में लाने के लिए एक युद्ध बहुत जरूरी हो गया है और इस बार अमेरिका ने मोदी के साथ मिलकर चीन के विघटन की तैयारी शुरू कर दी है....
जल्द चीन के आधिपत्य वाले ताइवान व तिब्बत के तेवर भी तेज रफ्तार पकड़ने वाले हैं....
उसके अलावा18 देश जिनसे चीन विस्तारवादी नीतियों के षड्यंत्र के तहत उनकी सीमाओं पर कब्जा जमा बैठा है उनको भी जल्द रणनीतिक व कूटनीतिक समर्थन नरेंद्र मोदी देने वाले हैं
चीन के विघटन के बाद एशिया जम्बूद्वीप में अखण्ड भारत में बहुत बड़ा भारत भूमि का खण्ड पुनः प्राप्त करने के साथ ही अखण्ड भारत की आधारशिला नरेंद्र मोदी जी सेना के पराक्रम की शक्ति के बल पर पुनर्स्थापित करेंगे
इजरायल से अनेक प्रकार के गुप्त हथियार भारत में लाए जा रहे हैं जिनका अमेरिका के अलावा अन्य को कोई आभास नहीं है
नरेंद्र मोदी के आदेश पर गुप्त ठिकानों पर ब्रह्मोस परमाणु हथियारों की तैनाती की गई है और सुखोई लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है
इसके अलावा स्वदेशी तोप धनुष की तैनाती बड़ी संख्या में कई स्थानों पर की गई है
चिनूक मालवाहक हेलीकॉप्टर से भीष्म टैंक चीनी टैंकों को उड़ाने वाली रेंज में तैनात किए गए हैं
आस्ट्रेलिया के भी युद्धक जंगी युद्धपोतों को चाइना सी की ओर मोड़ दिया गया है.
हिन्द महासागर में विश्व का सबसे शक्तिशाली विमानवाहक युद्धपोत रोनाल्ड रीगन अपने पूरे बैटल ग्रुप के 50 से ज्यादा युद्धपोत के साथ तैनात किया गया है
रोनाल्ड रीगन के बाद 2 और परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोतों को भी पिछले सप्ताह चीनी सागर में तैनात कर दिया गया है
चीन के अन्य देशों से सीमा विवादित क्षेत्रों में सम्बंधित देशों ने अपनी अपनी सीमा सुरक्षा बलों की जगह फ़ंट्रीयर कोर डिविजन की तैनातियों की तैयारी शुरू कर दी है
इन सब तैयारियों को पूरा करने के बाद ही 29व 30 सितंबर की रात में सिर्फ 5 घण्टे के समय में 4 हजार मीटर ऊंचाई पर स्थित ब्लैक टॉप पर कब्जा करने के लिए अजित डोभाल की स्पेशल फोर्स व सिख इंफेक्ट्री को जिम्मा सौंपा गया था, जिन्होंने तय समय से 1 घण्टे पहले ही शीर्ष छोटी पर स्थापित चीनी बंकर को कब्जे में लेकर वहां पर लगे चाइना के CCTV၊ कैमरे व सेटेलाईट सर्विलांस उपकरणों को उखाड़ फेंका और ब्लैक टॉप पर कब्जा जमा लिया
ये आपरेशन इतना गुप्त था कि सेना के प्रमुख को भी नही बताया गया था , क्योंकि टाप पोस्टों पर बैठे कुछ कांग्रेसी, वामपंथी विचारधारा के लोग भी??????? सकते थे
पूरा आपरेशन मोदी जी और अजीत डोभाल के संचालन में हुआ था ၊
इस प्रकार पहले टॉप पर पहुंच चुके सैनिकों ने चीनी टुच्चीयों को आधे रास्ते से ही वापस खदेड़ दिया
इसमें एक बारूदी सुरंग की चपेट में आने के कारण एक सैनिक वीरगति प्राप्त हुआ.
जिनके बलिदान पर हिन्दुओ को गर्व है
उनके अदम्य साहस व चुस्ती फुर्ती के कारण ही बिना कोई हिंसक झड़प के ही हिन्दू सेना ब्लेक टॉप पर कब्ज़ा करने में सफल हो सकी
सैन्य शक्ति व रणनीतिक मोर्चे पर चीन के खिलाफ बहुत से गुप्त मोर्चो पर तैयार हो गए हैं और जल्द विश्व में चीन के खिलाफ बहुत सारे मोर्चो पर कम्युनिस्ट पार्टी के वजूद को मिटाने का काम शुरू किया जाएगा.
चीन की गर्दन में हाथ डालकर नरेंद्र मोदी जी ने नेपाल, श्री लंका, पाकिस्तान व बांग्लादेश की वामपंथी दलों की फड़फड़ाहट को भी खत्म करने का मन बना लिया है၊၊
पिछले सौ सालों में अखण्ड भारत में से खंडित हुए भारत भूमि के अनमोल खंडों को पुनः हिन्दू राष्ट्र में समाहित करने के राजसूय यज्ञ का प्रारंभ नरेंद्र मोदी जी सेना के साथ मिलकर शुरू करेंगे ၊
इसी कड़ी में ब्रह्मदेश, श्री लंका,भूटान, बांग्लादेश, बलूचिस्तान, सिंध, मुज्जफराबाद आदि में अजित डोभाल जी के स्पेशल कंमाडो ने अपना काम शुरू कर दिया है,
इसी कारण तो इन देशों के ग़द्दार कांग्रेसियों और वामपंथी दलों व अन्य ग़द्दार दलों के नेताओं के भारत विरोधी बयानों में एकाएक से तेजी आ गई है.
वर्तमान नरेंद्र मोदी जी का सैन्य शक्ति का प्रचंड शक्ति सामर्थ्य पड़ोसी देशों को दिखा रहे हैं ,उसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जी अखण्ड भारत में से खंडित जम्बूद्वीप के खंड भूखंडों को पुनः भारत में भगवा ध्वज तले समाहित करने के अश्वमेध यज्ञ का प्रारंभ करेंगे.
योगी आदित्यनाथ के पुरुषार्थ का कीर्तिमान स्थापित करने के लिए ही तो उत्तरप्रदेश में संयोग के साथ प्रयोग किये जा रहे हैं,
ताकि आने वाले कालखंड के हिन्दुराजा योगी आदित्यनाथ की यम नियमों वाली राजधर्म की शासन व्यवस्था व नेतृत्व नीति का लौहा पूरा जम्बूद्वीप मानने लगे.....
इसी नीति के तहत नरेंद्र मोदी जी अपने बाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ को स्थापित कर रहे हैं ၊
विश्व में हिंदी भाषा में उद्बोधन देना नरेद्र मोदी जी का शक्ति प्रदर्शन ही है ၊
शिवभक्त नरेद्र मोदी जी अगले कुछ ही दिनों में
कैलाश मानसरोवर जाकर जल्द ही (नवम्बर २०२० से पहले) महादेव का शिव तांडव स्त्रोतम गुंजायमान करेंगे ၊
और उसकी वापसी के बाद ही दाढी के बालों का त्याग होगा
<a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/431562/5632" target="_top" id="431562"><img src="//a.impactradius-go.com/display-ad/5632-431562" border="0" alt="" width="728" height="90"/></a><img height="0" width="0" src="https://bigrock-in.sjv.io/i/2473050/431562/5632" style="position:absolute;visibility:hidden;" border="0" />
<a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/431562/5632" target="_top" id="431562"><img src="//a.impactradius-go.com/display-ad/5632-431562" border="0" alt="" width="728" height="90"/></a><img height="0" width="0" src="https://bigrock-in.sjv.io/i/2473050/431562/5632" style="position:absolute;visibility:hidden;" border="0" />
<h3 id="704075"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/704075/5632">.IN Domain @₹199 For the 1st Year when bought for 2 years</a></h3>
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<h3 id="496680"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/496680/5632">Flat 10% Off SSL Certificate</a></h3>
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<h3 id="496677"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/496677/5632">Flat 28% Off On Web Hosting</a></h3>
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<h3 id="496678"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/496678/5632">.COM @ Rs.149 for 1st year</a></h3>
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<h3 id="496679"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/496679/5632">.COM @ Rs.699 For 1 Year</a></h3>
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<h3 id="523385"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/523385/5632">Flat 30% Off On WordPress Hosting</a></h3>
<img height="0" width="0" src="https://bigrock-in.sjv.io/i/2473050/523385/5632" style="position:absolute;visibility:hidden;" border="0" />
<h3 id="537793"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/537793/5632">10% off on CodeGuard Backup</a></h3>
<img height="0" width="0" src="https://bigrock-in.sjv.io/i/2473050/537793/5632" style="position:absolute;visibility:hidden;" border="0" />
<h3 id="537792"><a href="https://bigrock-in.sjv.io/c/2473050/537792/5632">Flat 10% off on SiteLock Security</a></h3>
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"कृष्ण मनुष्यता के भविष्य है।" |
Posted by: admin - 08-12-2020, 10:39 AM - Forum: Share your stuff
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"कृष्ण मनुष्यता के भविष्य है।"
????????
कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत अनूठा है। अनूठेपन की पहली बात यह है कि कृष्ण हुए तो अतीत में, लेकिन हैं भविष्य के। मनुष्य अभी भी इस योग्य नहीं हो पाया कि कृष्ण का समसामयिक बन सके। अभी भी कृष्ण मनुष्य की समझ से बाहर हैं। भविष्य में ही यह संभव हो पाएगा कि कृष्ण को हम समझ पाएँ।
इसके कुछ कारण हैं।
सबसे बड़ा कारण तो यह है कि कृष्ण अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं, जो धर्म की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर भी गंभीर नहीं हैं, उदास नहीं हैं, रोते हुए नहीं हैं। साधारणत: संत का लक्षण ही रोता हुआ होना है। जिंदगी से उदास, हारा हुआ, भागा हुआ। कृष्ण अकेले ही नाचते हुए व्यक्ति हैं, हँसते हुए, गीत गाते हुए। अतीत का सारा धर्म दुखवादी था। कृष्ण को छोड़ दें तो अतीत का सारा धर्म उदास आँसुओं से भरा हुआ था। हँसता हुआ धर्म, जीवन को समग्र रूप से स्वीकार करनेवाला धर्म, अभी पैदा होने को है। निश्चित ही पुराना धर्म मर गया है, और पुराना ईश्वर, जिसे हम अब तक ईश्वर समझते थे, जो हमारी धारणा थी ईश्वर की, वह भी मर गई है।
जीसस के संबंध में कहा जाता है कि वह कभी हँसे नहीं। शायद जीसस का यह उदास व्यक्तित्व और सूली पर लटका हुआ उनका शरीर ही हम दुखी चित्त लोगों के बहुत आकर्षण का कारण बन गया। महावीर या बुद्ध बहुत गहरे अर्थों में जीवन के विरोधी हैं। कोई और जीवन है परलोक में, कोई मोक्ष है, उसके पक्षपाती हैं। समस्त धर्मों ने दो हिस्से कर रखे हैं जीवन के-एक वह, जो स्वीकार करने योग्य है और एक वह, जो इंकार करने के योग्य है।
कृष्ण अकेले ही इस समग्र जीवन को पूरा ही स्वीकार कर लेते हैं। जीवन की समग्रता की स्वीकृति उनके व्यक्तित्व में फलित हुई है। इसलिए इस देश ने और सभी अवतारों को आंशिक अवतार कहा है, कृष्ण को पूर्ण अवतार कहा है। राम भी अंश ही हैं परमात्मा के, लेकिन कृष्ण पूरे ही परमात्मा हैं। और यह कहने का, यह सोचने का, ऐसा समझने का कारण है। और वह कारण यह है कि कृष्ण ने सभी कुछ आत्मसात कर लिया।
अल्बर्ट श्वीत्जर ने भारतीय धर्म की आलोचना में एक बड़ी कीमत की बात कही है, और वह यह कि भारत का धर्म जीवन-निषेधक, ‘लाइफ निगेटिव’ है। यह बात बहुत दूर तक सच है, यदि कृष्ण को भुला दिया जाए। और यदि कृष्ण को भी विचार में लिया जाए तो यह बात एकदम ही गलत हो जाती है। और श्वीत्जर यदि कृष्ण को समझते तो ऐसी बात न कह पाते। लेकिन कृष्ण की कोई व्यापक छाया भी हमारे चित्त पर नहीं पड़ी है। वे अकेले दु:ख के एक महासागर में नाचते हुए एक छोटे से द्वीप हैं। या ऐसा हम समझें कि उदास और निषेध और दमन और निंदा के बड़े मरुस्थल में एक बहुत छोटे-से नाचते हुए मरुद्यान हैं। वह हमारे पूरे जीवन की धारा को नहीं प्रभावित कर पाए। हम ही इस योग्य न थे, हम उन्हें आत्मसात न कर पाए।
मनुष्य का मन अब तक तोड़कर सोचता रहा, द्वंद्व करके सोचता रहा। शरीर को इंकार करना है, आत्मा को स्वीकार करना है, तो आत्मा और शरीर को लड़ा देना है। परलोक को स्वीकार करना है, इहलोक को इंकार करना है तो इहलोक और परलोक को लड़ा देना है। स्वभावत: यदि हम शरीर को इंकार करेंगे, तो जीवन उदास हो जाएगा। क्योंकि जीवन के सारे रसस्रोत और सारा स्वास्थ्य और जीवन का सारा संगीत और सारी वेदनाएँ शरीर से आ रही हैं। शरीर को जो धर्म इंकार कर देगा, वह पीतवर्ण हो जाएगा, रक्तशून्य हो जाएगा। उस पर से लाली खो जाएगी। वह पीले पत्ते की तरह सूखा हुआ धर्म होगा। उस धर्म की मान्यता भी जिनके मन में गहरी बैठेगी वे भी पीले पत्तों की तरह गिरने की तैयारी में संलग्न, मरने के लिए उत्सुक और तैयार हो जाएँगे।
कृष्ण अकेले हैं, जो शरीर को उसकी समस्तता में स्वाकीर कर लेते हैं, उसकी ‘टोटलिटी’ में। यह एक आयाम में नहीं, सभी आयाम में सच है। शायद कृष्ण को छोड़कर… कृष्ण को छोड़कर, और पूरे मनुष्यता के इतिहास में जरथुस्त्र एक दूसरा आदमी है, जिसके बाबत यह कहा जाता है कि वह जन्म लेते ही हँसा। सभी बच्चे रोते हैं। एक बच्चा सिर्फ मनुष्यजाति के इतिहास में जन्म लेकर हँसा है। यह सूचक है। यह सूचक है इस बात का कि अभी हँसती हुई मनुष्यता पैदा नहीं हो पाई। और कृष्ण तो हँसती हुई मनुष्यता को ही स्वीकार हो सकते हैं। इसलिए कृष्ण का बहुत भविष्य है। फ्रॉयड-पूर्व धर्म की जो दुनिया थी, वह फ्रॉयड-पश्चात् नहीं हो सकती। एक बड़ी क्रांति घटित हो गई है, और एक बड़ी दरार पड़ गई है मनुष्य की चेतना में। हम जहाँ थे फ्रॉयड के पहले, अब हम वहीं कभी भी नहीं हो सकेंगे। एक नया शिखर छू लिया गया है और एक नई समझ पैदा हो गई है। वह समझ समझ लेनी चाहिए।
पुराना धर्म सिखाता था आदमी को दमन और ‘सप्रेशन’। काम है, क्रोध है, लोभ हैं, मोह है। सभी को दबाना है और नष्ट कर देना है। और तभी आत्मा उपलब्ध होगी और तभी परमात्मा उपलब्ध होगा। यह लड़ाई बहुत लंबी चली। इस लड़ाई के हजारों साल के इतिहास में भी मुश्किल से दस-पाँच लोग हैं, जिनको हम कह पाएँ कि उन्होंने परमात्मा को पा लिया। एक अर्थ में यह लड़ाई सफल नहीं हुई। क्योंकि अरबों-खरबों लोग बिना परमात्मा को पाए मरे हैं। जरूर कहीं कोई बुनियादी भूल थी। यह ऐसा ही है जैसे कि कोई माली पचास हजार पौधे लगाए और एक पौधे में फूल आ जाएँ, और फिर भी हम उस माली के शास्त्र को मानते चले जाएँ, और हम कहें कि देखो एक पौधे में फूल आए ! और हम इस बात का खयाल ही भूल जाएँ कि पचास करोड़ पौधों में अगर एक पौधे में फूल आते हैं, तो यह माली की वजह से न आए होंगे, यह माली से किसी तरह बच गया होगा पौधा, इसिलए आ गए हैं। क्योंकि माली का प्रमाण तो बाकी पचास करोड़ पौधे हैं, जिनमें फूल नहीं आते, पत्ते नहीं लगते, सूखे ठूँठ रह जाते हैं।
एक बुद्ध, एक महावीर, एक क्राइस्ट अगर परमात्मा को उपलब्ध हो जाते हैं, द्वंद्वग्रस्त धर्मों के बावजूद, तो यह कोई धर्मों की सफलता का प्रमाण नहीं है। धर्मों की सफलता का प्रमाण तो तब होगा, माली तो तब सफल समझा जाएगा, जब पचास करोड़ पौधों में फूल लगें और एक में न लग पाएँ तो क्षमा-योग्य है। कहा जा सकेगा कि यह पौधे की गलती हो गई। इसमें माली की गलती नहीं हो सकती। पौधा बच गया होगा माली से, इसलिए सूख गया है, इसलिए फल नहीं आते हैं।
फ्रॉयड के साथ ही एक नई चेतना का जन्म हुआ और वह यह कि दमन गलत है। और दमन मनुष्य को आत्महिंसा में डाल देता है। आदमी अपने ही से लड़ने लगे तो सिर्फ नष्ट हो सकता है। अगर मैं अपने बाएँ और दाएँ हाथ को लड़ाऊँ तो न तो बायाँ जीतेगा, न दायाँ जीतेगा, लेकिन मैं हार जाऊँगा। दोनों हाथ लड़ेंगे और मैं नष्ट हो जाऊँगा। तो दमन ने मनुष्य को आत्मघाती बना दिया, उसने अपनी ही हत्या अपने हाथों कर ली।
कृष्ण, फ्रॉयड के बाद जो चेतना का जन्म हुआ है, जो समझ आई है, उस समझ के लिए कृष्ण ही अकेले हैं, जो सार्थक मालूम पड़ सकते हैं क्योंकि पुराने मनुष्य-जाति के इतिहास में कृष्ण अकेले हैं, जो दमनवादी नहीं हैं। उन्होंने जीवन के सब रंगों को स्वीकार कर लिया है। वे प्रेम से भागते नहीं। वे पुरुष होकर स्त्री से पलायन नहीं करते। वे परमात्मा को अनुभव करते हुए युद्ध से विमुख नहीं होते। वे करुणा और प्रेम से भरे होते हुए भी युद्ध में लड़ने की सामर्थ्य रखते हैं। अहिंसक चित्त है उनका, फिर भी हिंसा के ठेठ दावानल में उतर जाते हैं। अमृत की स्वीकृति है उन्हें, लेकिन जहर से कोई भय भी नहीं है। और सच तो यह है, जिसे भी अमृत का पता चल गया है उसे जहर का भय मिट जाना चाहिए। क्योंकि ऐसा अमृत ही क्या, जो जहर से फिर डरता चला जाए। और जिसे अहिंसा का सूत्र मिल गया उसे हिंसा का भय मिट जाना चाहिए। ऐसी अहिंसा ही क्या, जो अभी हिंसा से भी भयभीत और घबराई हुई है। और ऐसी आत्मा भी क्या, जो शरीर से भी डरती हो और बचती हो ! और ऐसे परमात्मा का क्या अर्थ, जो सारे संसार को अपने आलिंगन में न ले सकता हो। तो कृष्ण द्वंद्व को एक-सा स्वीकार कर लेते हैं। और इसलिए द्वंद्व के अतीत हो जाते हैं। ‘ट्रांसेंडेंस’ जो है, अतीत जो हो जाना है, वह द्वंद्व में पड़कर कभी संभव नहीं है, दोनों को एक साथ स्वीकार कर लेने से संभव है।
तो भविष्य के लिए कृष्ण की बड़ी सार्थकता है। और भविष्य में कृष्ण का मूल्य निरंतर बढ़ते ही जाने को है। जबकि सबके मूल्य फीके पड़ जाएँगे और द्वंद्व-भरे धर्म जबकि पीछे अँधेरे में डूब जाएँगे और इतिहास की राख उन्हें दबा देगी, तब भी कृष्ण का अंगार चमकता हुआ रहेगा। और भी निखरेगा, क्योंकि पहली दफा मनुष्य इस योग्य होगा कि कृष्ण को समझ पाए। कृष्ण को समझना बड़ा कठिन है। आसान है यह बात समझना कि एक आदमी संसार को छोड़कर चला जाए और शांत हो जाए। कठिन है इस बात को समझना कि संसार के संघर्ष में, बीच में खड़ा होकर और शांत हो। आसान है यह बात समझनी कि आदमी विरक्त हो जाए, आसक्ति के संबंध तोड़कर भाग जाए और उसमें एक पवित्रता का जन्म हो। कठिन है यह बात समझनी कि जीवन के सारे उपद्रव के बीच, जीवन के सारे उपद्रव में अलिप्त, जीवन के सारे धूल-धवाँस के कोहरे और आँधियों में खड़ा हुआ दिया हिलता न हो, उसकी लौ कँपती न हो-कठिन है यह समझना। इसलिए कृष्ण को समझना बहुत कठिन था। निकटतम जो कृष्ण थे, वे भी नहीं समझ सकते।
लेकिन पहली दफा एक महान प्रयोग हुआ है। पहली दफा आदमी ने अपनी शक्ति का पूरा परीक्षण कृष्ण में किया है। ऐसा परीक्षण कि संबंधों में रहते हुए असंग रहा जा सके, और युद्ध के क्षण पर भी करुणा न मिटे। और हिंसा की तलवार हाथ में हो, तो भी प्रेम का दिया मन से न बुझे।
इसलिए कृष्ण को जिन्होंने पूजा भी है, जिन्होंने कृष्ण की आराधना भी की है, उन्होंने भी कृष्ण के टुकड़े-टुकड़े करके किया है। सूरदास के कृष्ण कभी बच्चे से बड़े नहीं हो पाते। बड़े कृष्ण के साथ खतरा है। सूरदास बर्दाश्त न कर सकेंगे। वह बाल कृष्ण को ही..क्योंकि बालकृष्ण अगर गाँव की स्त्रियों को छेड़ आता है तो हमें बहुत कठिनाई नहीं है। लेकिन युवा कृष्ण जब गाँव की स्त्रियों को छेड़ देगा तो फिर बहुत मुश्किल हो जाएगा। फिर हमें समझना बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि हम अपने ही तल पर तो समझ सकते हैं। हमारे अपने तल के अतिरिक्त समझने का हमारे पास कोई उपाय भी नहीं है। तो कोई है, जो कृष्ण के एक रूप को चुन लेगा; कोई है, जो दूसरे रूप को चुन लेगा। गीता को प्रेम करनेवाले भागवत की उपेक्षा कर जाएँगे, क्योंकि भागवत का कृष्ण और ही है। भागवत को प्रेम करनेवाले गीता की चर्चा में पड़ेगे, क्योंकि कहाँ राग-रंग और कहाँ रास और कहाँ युद्ध का मैदान ! उनके बीच कोई ताल-मेल नहीं है। शायद कृष्ण से बड़े विरोधों को एक-साथ पी लेनेवाला कोई व्यक्तित्व ही नहीं है। इसिलए कृष्ण की एक-एक शक्ल को लोगों ने पकड़ लिया है। जो जिसे प्रीतिकर लगी है, उसे छांट लिया है, बाकी शक्ल को उसने इंकार कर दिया है।
गांधी गीता को माता कहते हैं, लेकिन गीता को आत्मसात नहीं कर सके। क्योंकि गाँधी की अहिंसा युद्ध की संभावनाओं को कहाँ रखेगी ? तो गांधी उपाय खोजते हैं, वह कहते हैं कि यह जो युद्ध है, यह सिर्फ रूपक है, यह कभी हुआ नहीं । यह मनुष्य के भीतर अच्छाई और बुराई की लड़ाई है। यह जो कुरुक्षेत्र है, यह कहीं कोई बाहर का मैदान नहीं है, और ऐसा नहीं है कि कृष्ण ने कहीं अर्जुन को किसी बाहर के युद्ध में लड़ाया हो। यह तो भीतर के युद्ध की रूपक-कथा है। यह ‘पैरबेल’ है, यह एक कहानी है। यह एक प्रतीक है। गांधी को कठिनाई है। क्योंकि गांधी का जैसा मन है, उसमें तो अर्जुन ही ठीक मालूम पडे़गा। अर्जुन के मन में बड़ी अहिंसा का उदय हुआ है। वह युद्ध छोड़कर भाग जाने को तैयार है। वह कहता है, अपनों को मारने से फायदा क्या ? और वह कहता है, इतनी हिंसा करके धन पाकर भी, यश पाकर भी, राज्य पाकर भी मैं क्या करूँगा? इससे तो बेहतर है कि मैं सब छोड़कर भिखमंगा हो जाऊँ। इससे तो बेहतर है कि मैं भाग जाऊँ और सारे दु:ख वरण कर लूँ, लेकिन हिंसा में न पड़ूँ। इससे मेरा मन बड़ा कँपता है। इतनी हिंसा अशुभ है।
कृष्ण की बात गांधी की पकड़ में कैसे आ सकती हैं ? क्योंकि कृष्ण उसे समझाते हैं कि तू लड़। और लड़ने के लिए जो-जो तर्क देते हैं, वह ऐसा अनूठा है कि इसके पहले कभी भी नहीं दिया गया था। उसको परम अहिंसक ही दे सकता है, उस तर्क को।
कृष्ण का यह तर्क है कि जब तक तू ऐसा मानता है कि कोई मर सकता है, तब तक तू आत्मवादी नहीं है। तब तक तुझे पता ही नहीं है कि जो भीतर है, वह कभी मरा है, न कभी मर सकता है। अगर तू सोचता है कि मैं मार सकूँगा, तो तू बड़ी भ्रांति में है, बड़े अज्ञान में है। क्योंकि मारने की धारणा ही भौतिकवादी की धारणा है। जो जानता है, उसके लिए कोई मरता नहीं है। तो अभिनय है- कृष्ण उससे कह रहे हैं-मरना और मारना लीला है, एक नाटक है।
इस संदर्भ में यह समझ लेना उचित होगा कि राम के जीवन को हम चरित्र कहते हैं। राम बड़े गंभीर हैं। उनकी जीवन लीला नहीं है, चरित्र ही है। लेकिन कृष्ण गंभीर नहीं है। कृष्ण का चरित्र नहीं है वह, कृष्ण की लीला है। राम मर्यादाओं से बँधे हुए व्यक्ति हैं, मर्यादाओं के बाहर वे एक कदम न बढ़ेंगे। मर्यादा पर वे सब कुर्बान कर देंगे। कृष्ण के जीवन में मर्यादा जैसी कोई चीज ही नहीं है। अमर्यादा। पूर्ण स्वतंत्र। जिसकी कोई सीमा नहीं, जो कहीं भी जा सकता है। ऐसी कोई जगह नहीं आती, जहाँ वह भयभीत हो और कदम को ठहराए। यह अमर्यादा भी कृष्ण के आत्म-अनुभव का अंतिम फल है। तो हिंसा भी बेमानी हो गई है वहाँ, क्योंकि हिंसा हो नहीं सकती। और जहाँ हिंसा ही बेमानी हो गई हो, वहाँ अहिंसा भी बेमानी हो जाती है। क्योंकि जब तक हिंसा सार्थक है और हिंसा हो सकती है, तभी तक अहिंसा भी सार्थक है। असल में हिंसक अपने को मानना भौतिकवाद है, अहिंसक अपने को मानना भी उसी भौतिकवाद का दूसरा छोर है। एक मानता है मैं मार डालूँगा, एक मानता है मैं मारूँगा नहीं, मैं मारने को राजी ही नहीं हूँ। लेकिन दोनों मानते हैं कि मारा जा सकता है।
ऐसा अध्यात्म युद्ध को भी खेल मान लेता है। और जो जीवन की सारी दिशाओं को राग की, प्रेम की, भोग की, काम की, योग की, ध्यान की समस्त दिशाओं को एक साथ स्वीकार कर लेता है। इस समग्रता के दर्शन को समझने की संभावना रोज बढ़ती जा रही है, क्योंकि अब हमें कुछ बातें पता चली हैं, जो हमें कभी भी पता नहीं थीं। लेकिन कृष्ण को निश्चित ही पता रही हैं।
जैसे हमें आज जाकर पता चला कि शरीर और आत्मा जैसी दो चीजें नहीं है। आत्मा का जो छोर दिखाई पड़ता है, वह शरीर है, और शरीर का जो छोर दिखाई नहीं पड़ता है, वह आत्मा है। परमात्मा और संसार जैसी दो चीजें नहीं हैं। परमात्मा और प्रकृति जैसा द्वंद्व नहीं है कहीं। परमात्मा का हिस्सा दृश्य हो गया है, वह प्रकृति है। और जो अब भी अदृश्य है, वह परमात्मा है। कहीं भी ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ प्रकृति खत्म होती है और परमात्मा शुरू होता है। बस प्रकृति ही लीन होते-होते परमात्मा बन जाती है। परमात्मा ही प्रगट होते-होते प्रकृति बन जाता है। अद्वैत का यही अर्थ है। और इस अद्वैत की अगर हमें धारणा स्पष्ट हो जाए, इसकी प्रतीति हो जाए, तो कृष्ण को समझा जा सकता है।
साथ ही भविष्य में और क्यों कृष्ण के मूल्य और कृष्ण की सार्थकता बढ़ने को है और कृष्ण क्यों मनुष्य के और निकट आ जाएँगे ? अब दमन संभव नहीं हो सकेगा। बड़े लंबे संघर्ष और बड़े लंबे ज्ञान की खोज के बाद ज्ञात हो सका कि जिन शक्तियों से हम लड़ते हैं, वे शक्तियाँ हमारी ही हैं, हम ही हैं। इसलिए उनसे लड़ने से बड़ा कोई पागलपन नहीं हो सकता। और यह भी ज्ञात हुआ है कि जिससे हम लड़ते हैं, हम सदा के लिए उसी से घिरे रह जाते हैं। उसे हम कभी रूपांतरित नहीं कर पाते। उसका ‘ट्रांसफार्मेशन’ नहीं होता।
अगर कोई व्यक्ति काम से लड़ेगा तो उसके जीवन में ब्रह्मचर्य कभी भी घटित नहीं हो सकता। अगर ब्रह्मचर्य घटित हो सकता है तो एक ही उपाय है कि वह अपनी काम की ऊर्जा को कैसे रूपांतरित करे। काम की ऊर्जा से लड़ना नहीं है, काम की ऊर्जा को कैसे रूपांतरित करे। काम की ऊर्जा से दुश्मनी नहीं लेनी, काम की ऊर्जा से मैत्री साधनी है। क्योंकि हम सिर्फ उसी को बदल सकते हैं, जिससे हमारी मैत्री है। जिसके हम शत्रु हो गए उसको बदलने का सवाल नहीं। जिसके हम शत्रु हो गए उसको समझने का भी उपाय नहीं है। समझ भी हम उसे ही सकते हैं, जिससे हमारी मैत्री है।
तो जो हमें निकृष्टतम दिखाई पड़ रही है, वह भी श्रेष्ठतम का ही छोर है। पर्वत का जो बहुत ऊपर का शिखर है, वह, और पर्वत के पास की जो बहुत गहरी खाई है, ये दो घटनाएँ नहीं हैं। ये एक ही घटना के दो हिस्से हैं। यह जो खाई बनी है, यह पर्वत के ऊपर उठने से बनी है। यह जो पर्वत ऊपर उठ सका है, यह खाई के बनने से ऊपर उठ सका है। ये दो चीजें नहीं हैं। पर्वत और खाई हमारी भाषा में दो हैं, अस्तित्व में एक ही चीज के दो छोर हैं।
नीत्शे का एक बहुत कीमती वचन है। नीत्शे ने कहा है कि जिस वृक्ष को आकाश की ऊँचाई छूनी हो, उसे अपनी जड़े पाताल की गहराई तक पहुँचनी पड़ती हैं। और अगर कोई वृक्ष अपनी जड़ों को पाताल तक पहुँचाने से डरता है, तो उसे आकाश तक पहुँचने की आकांक्षा भी छोड़ देनी पड़ती है। असल में जितनी ऊंचाई, उतने ही गहरे भी जाना पड़ता है। जितना ऊँचा जाना हो उतना ही नीचे भी जाना पड़ता है। निचाई और ऊँचाई दो चीजें नहीं हैं, एक ही चीज के दो आयाम हैं और वे सदा समानुपात हैं, एक ही अनुपात में बढ़ते हैं।
मनुष्य के मन ने सदा चाहा कि वह चुनाव कर ले। उसने चाहा कि स्वर्ग को बचा ले और नर्क को छोड़ दे। उसने कहा कि शांति को बचा ले, तनाव को छोड़ दे। उसने चाहा शुभ को बचा ले, अशुभ को छोड़ दे। उसने चाहा प्रकाश ही रहे, अंधकार न रह जाए। मनुष्य के मन के अस्तित्व को दो हिस्सों में तोड़कर एक हिस्से का चुनाव किया और दूसरे का इंकार किया। इससे द्वंद्व पैदा हुआ, इससे द्वैत पैदा हुआ। कृष्ण दोनों को एक साथ स्वीकार करने के प्रतीक है। नहीं तो अपूर्ण ही रह जाएगा। जितने को चुनेगा, उतना हिस्सा रह जाएगा और जिसको इंकार करेगा, सदा उससे बँधा रहेगा। उससे बाहर नहीं जा सकता है। जो व्यक्ति काम का दमन करेगा, उसका चित्त कामुक-से-कामुक होता चला जाएगा। इसलिए जो संस्कृति, जो धर्म काम का दमन सिखाता है, वह संस्कृति कामुकता पैदा कर जाती है।
हमने कृष्ण के उन हिस्सों का इंकार किया, जो काम की स्वीकृति है। लेकिन अब यह संभव हो जाएगा, क्योंकि अब हमें दिखाई पड़ना शुरू हुआ है कि काम की ऊर्जा, वह जो ‘सेक्स इनर्जी’ है, वह ऊर्ध्वगमन करके ब्रह्मचर्य के उच्चतम शिखरों को छू पाती है। जीवन में किसी से भागना नहीं है और जीवन में किसी को छोड़ना नहीं है, जीवन को पूरा ही स्वीकार करके जीना है। उसको जो समग्रता से जीता है, वह जीवन को पूर्णता को उपलब्ध होता है। इसलिए मैं कहता हूँ कि भविष्य के संदर्भ में कृष्ण का बहुत मूल्य है और हमारा वर्तमान रोज उस भविष्य के करीब पहुँचता है, जहाँ कृष्ण की प्रतिमा निखरती जाएगी और एक हँसता हुआ धर्म, एक नाचता हुआ धर्म जल्दी निर्मित होगा। तो उस धर्म की बुनियादों में कृष्ण का पत्थर जरूर रहने को है।
?ओशो:-$$✍??
कृष्ण सांवरे थे, ऐसा नहीं है। हमने इतना ही कहा है सांवरा कह कर, कि कृष्ण के सौंदर्य में बड़ी गहराई थी; जैसे गहरी नदी में होती है, जहां जल सांवरा हो जाता है। यह सौंदर्य देह का ही सौंदर्य नहीं था–यह हमारा मतलब है। खयाल मत लेना कि कृष्ण सांवले थे। रहे हों न रहे हों, यह बात बड़ी बात नहीं है। लेकिन सांवरा हमारा प्रतीक है इस बात का कि यह सौंदर्य शरीर का ही नहीं था, यह सौंदर्य मन का था; मन का ही नहीं था; यह सौंदर्य आत्मा का था। यह सौंदर्य इतना गहरा था, उस गहराई के कारण चेहरे पर सांवरापन था। छिछला नहीं था सौंदर्य। अनंत गहराई लिए था।
यह तुम्हारा मोर के पंखों से बना हुआ मुकुट, यह तुम्हारा सुंदर मुकुट, जिसमें सारे रंग समाएं हैं! वही प्रतीक है। मोर के पंखों से बनाया गया मुकुट प्रतीक है इस बात का कि कृष्ण में सारे रंग समाए हैं। महावीर में एक रंग है, बुद्ध में एक रंग है, राम में एक रंग है–कृष्ण में सब रंग हैं। इसलिए कृष्ण को हमने पूर्णावतार कहा है…सब रंग हैं। इस जगत की कोई चीज कृष्ण को छोड़नी नहीं पड़ी है। सभी को आत्मसात कर लिया है। कृष्ण इंद्रधनुष हैं, जिसमें प्रकाश के सभी रंग हैं। कृष्ण त्यागी नहीं हैं। कृष्ण भोगी नहीं हैं। कृष्ण ऐसे त्यागी हैं जो भोगी हैं। कृष्ण ऐसे भोगी हैं जो त्यागी हैं। कृष्ण हिमालय नहीं भाग गए हैं, बाजार में हैं। युद्ध के मैदान पर हैं। और फिर भी कृष्ण के हृदय में हिमालय है। वही एकांत! वही शांति! अपूर्व सन्नाटा!
कृष्ण अदभुत अद्वैत हैं। चुना नहीं है कृष्ण ने कुछ। सभी रंगों को स्वीकार किया है, क्योंकि सभी रंग परमात्मा के हैं।
OSHO:-$$✍?
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जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा |
Posted by: admin - 08-12-2020, 10:35 AM - Forum: Share your stuff
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हरे कृष्णा
जरूर पढ़ें पुरा और करे भी कोशिश करें व्रत करने की और हरि नाम का जप करें????
वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, और जो बिना जल और बिना फ़रियाल के बिना फल दुध के करता है और वो जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें आप जिनसे ना बने वो फल फ़रियाल जल ले सकते है
जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में सुख-समृद्धि आने के योग बनाते हैं।
जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।
? जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा ?
?? जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है ।इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं ।
?? जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है।
?? ‘वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’ - ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें ।
? बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें ।
?? जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है ।
?? उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है। जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।
?? ‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है।
कृष्ण नाम के उच्चारण का फल
?? ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां त्रिरावृत्त्या चयत्फलम् ।।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः । कृष्णनाम्नः परं नाम न भूतं न भविष्यति ।।
सर्वेभ्यश्च परं नाम कृष्णेति वैदिका विदुः । कृष्ण कृष्णोति हे गोपि यस्तं स्मरति नित्यशः ।।
जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धरेच्च सः । कृष्णेति मङ्गलं नाम यस्य वाचि प्रवर्तते ।।
भस्मीभवन्ति सद्यस्तु महापातककोटयः । अश्वमेधसहस्रेभ्यः फलं कृष्णजपस्य च ।।
वरं तेभ्यः पुनर्जन्म नातो भक्तपुनर्भवः । सर्वेषामपि यज्ञानां लक्षाणि च व्रतानि च ।।
तीर्थस्नानानि सर्वाणि तपांस्यनशनानि च । वेदपाठसहस्राणि प्रादक्षिण्यं भुवः शतम् ।।
कृष्णनामजपस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् । (ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, अध्यायः-१११)
?? विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते
? ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है :
महस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
?? विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
Hare Krishna
Shri Krishn janamashtami 12 August 2020 ko hai
Mere Krishn ka janam din kese manaye kese pujan kare kya bhog lagye kese abhishek kare jo jode hai sath me puja or vart kare
Jo single hai vo bhi vart kare puja kare sab kuch mile ga har ichchha puri hogi aese nhi to jese bane vese puja kare krishn to bas thode me hi khush ho jate hai
?☺
All krishna devotess janamastmi
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर
1--श्री कृष्ण को एक साधारण स्वच्छ वस्त्र लपेटे
2--*मखाने व किशमिश की माला बनाकर गले में पहनाइये
3--श्रीकृष्ण को स्नान पात्र ( थाली / परात) में आमन्त्रित करिये
अर्थात बैठाइये
4-- पुष्प व अगरबत्ती से आरती करिये
5 --माला उतार दीजिए
6-- सुगन्धित तेल से श्रीकृष्ण की मालिश करिये
7-- श्रीकृष्ण पर चंदन, हल्दी का लेप करिये
8-- पन्चामृत से स्नान कराएं
?शंख में दूध (गाय का) भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
?फिर, दही भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
?फिर, घी भरे और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? फिर शहद भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? फिर, गुड के घोल को भरें और श्री कृष्ण का अभिषेक करें
इसके बाद सादे जल से अभिषेक करें
(यदि पवित्र नदियों का जल जैसे - गंगा, यमुना, नर्मदा आदि मिल जाये तो उससे भी करें)
? अनार के रस को शंख में भर कर श्री कृष्ण का अभिषेक करें
? मौसमी के रस को शंख में भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करें
? संतरे के रस को शंख में भरकर श्री कृष्ण का अभिषेक करें
( और भी जिन फलो का रस मिल
सके उससे अभिषेक करें)
तत्पश्चात सादे जल से अभिषेक कर के
साफ सूखे तौलिए से पोछिये
?दूसरे थाली में श्री कृष्ण को बैठाइये
?फिर गुलाब की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये
?गेन्दे की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये
?कमल की पंखुड़ियों से अभिषेक करिये
( और भी जो फूलों की पंखुड़ियाँ मिल सके तो उनसे भी कर सकते हैं)
9-- उन्हें वस्त्र पहनाइये
10-- उपवीत पहनाइये
11- तिलक
12--आभूषण
13-- फूलों की माला
14--इत्र
15- सुगन्धित पुष्प दोनों चरणों में अर्पण करें
16--तुलसी पत्र दोनों चरणों में अर्पण करें
17--धूप
18 -- दीप
19-- भोग निवेदन करिये
मौसम के फल
घर की बनी मिठाई
शेक जैसे - milk shake, banana shake etc
कुछ लोग 56 भोग भी offer करते हैं।
As u wish
20 -- महाआरती करिये।
21- प्रसाद का वितरण करिये।
कृपया अभिषेक करते समय महामंत्र का कीर्तन करते रहिए
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
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