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सनातन धर्म की जय हो - Govind Acharya - 01-20-2019

सनातन धर्म की जय हो


सनातन धर्म रक्षक समिति


*सनातन धर्म : विज्ञान आधारित धर्म*

सनातन धर्म विश्व का पहला व सबसे प्राचीन पुरातन धर्म है। कुछ मनीषियों के मत के अनुसार यह धर्म नहीं अपितु जीवन जीने की संस्कृति है। सनातन धर्म में विभिन्न देवी देवताओं की पूजा होती है और सभी देवता प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति से जुड़े होते है। सनातन धर्म वास्तव में प्रकृति के विभिन्न रूपों की पूजा करने की शिक्षा देता है जो अन्य किसी धर्म संस्कृति में नहीं है। इसलिए हम सनातन धर्म को विज्ञान पर आधारित धर्म कहते व मानते है। इसलिए आज हम आपको बताते है कि हमारी परम्पराएँ व हमारा धर्म पूर्णत: विज्ञान पर आधारित है जिसमे अवैज्ञानिक कुछ नहीं है।

*जनेऊ धारण करना*
जनेऊ शरीर के लिए एक्युप्रेशर का काम करता है, जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ कम होती है। लघु शंका के समय जनेऊ को दायें कान पर लगाया जाता है, जिससे लीवर और मूत्र सम्बन्धी रोग विकार दूर होते है।

*मन्त्र*
मन्त्र भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग है जिसे हम पूजा पाठ व यज्ञ आदि के समय प्रयोग करते है। कई मंत्रो से मष्तिष्क शांत होता है, जिससे तनाव से मुक्ति मिलती है वही ब्लडप्रेशर नियंत्रण में भी मंत्रो का प्रयोग किया जाता है।

*शंख बजाना*
प्रत्येक धार्मिक कार्यो पर शंख बजाते है जो सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। शंख बजाने से जो ध्वनी निकलती है उससे सभी हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते है। शंख मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को भी दूर रखता है साथ ही यह कर्ण सम्बन्धी रोगों से बचाता है। शंख बजाने से श्वास सम्बन्धी रोग भी समाप्त हो जाते है।

*तिलक लगाना*
माथे के बीच में दोनों आँखों के बीच के भाग को नर्व पॉइंट बताया जाता है जिस कारण यहाँ पर तिलक लगाने से आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है। इससे किसी वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करने की शक्ति बढती है। साथ ही यह मष्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को नियंत्रण में रखता है।

*तुलसी पूजन*
सनातन धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना जाता है जिसका अपना वैज्ञानिक कारण है। तुलसी अपने आप में एक उत्तम औषधि है जो कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा दिलाती है। खांसी, जुकाम और बुखार में तुलसी एक अचूक रामबाण है। घर में तुलसी लगाने से कई हानिकारक जीवाणु और मच्छर आदि दूर रहते है।

*पीपल की पूजा*
वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चूका है की पूरी पृथ्वी पर एकमात्र पीपल का पेड़ ही 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। जिस कारण से पीपल का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए आज भी पीपल को सींच कर उसकी परिक्रमा की जाती है। पीपल के पत्ते हृदयरोग की ओषधि में भी प्रयोग होते है।

*शिखा रखना*
आयुर्वेद के प्रसिद्ध आचार्य सुश्रुत के अनुसार, सिर का पिछला उपरी भाग संवेदनशील कोशिका का समूह है जिसकी सुरक्षा के लिए शिखा रखने का नियम होता है। योग क्रिया अनुसार इस भाग में कुण्डलिनी जागरण का सातवाँ चक्र होता है जिसकी ऊर्जा शिखा रखने से एकत्रित हो जाती है।

*गोमूत्र व गाय का गोबर*
गाय के मूत्र को सनातन धर्म में पवित्र माना जाता है क्यूंकि गौमूत्र कई भंयकर बीमारियों में रामबाण है। मोटापे के शिकार लोगों के लिए गौमूत्र एक अचूक दवा है साथ ही यह हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है। गाय के गोबर का लेप करने से कई हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते है इसलिए पुराने समय में घरो में गोबर से घरो के फर्श लिपे जाते थे।

*योग व प्राणायाम*
योग व् प्राणायाम का लाभ किसी से छुपा नहीं है। योग व प्राणायाम का आविष्कार भारत के ऋषि मुनियों द्वारा समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए किया गया है। योग से स्ट्रेस व हाइपरटेंशन से मुक्ति मिलती है। मोटापे से लेकर कई जटिल बीमारियों में योग व प्राणायाम लाभकारी है। प्रतिदिन का प्राणायाम श्वास सम्बन्धी सभी रोगों से मुक्ति दिलाता है।

*हल्दी का प्रयोग*
हल्दी अपने आप में एक उत्तम एंटीबायोटिक है जिसका प्रयोग दुनिया के कई देश कर चुके है और ये सिद्ध कर चुके है की कैंसर जैसे भयंकर रोगों के उपचार में हल्दी एक अचूक औषधि है। हल्दी एक सौन्दर्यवर्धक औषधि भी है जिसका प्रयोग मुहं के दाग धब्बे हटाने व शरीर का रूप निखारने में किया जाता है इसलिए विवाह में एक रस्म हल्दी की भी होती है।

*घी के दिए जलाना*
दीपावली के समय हम अक्सर घरों की साफ़ सफाई करके दिये जलाते है और रौशनी करते है। दिए जलाने से केवल घर ही नहीं जीवन में भी प्रकाश होता है क्यूंकि दिए जलाने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। घी का दिया कार्बन डाईऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को समाप्त करता है। साथ ही तेल के दिए से हानिकारक कीटाणु भी समाप्त हो जाते है इसलिए वर्षा ऋतु के बाद दीपावली मनाई जाती है क्यूंकि वर्षा ऋतु के बाद कीट कीटाणु बढ़ जाते है।

*दाह संस्कार*
शव को जलाना अंतिम संस्कार का सबसे स्वच्छ उपाय है क्यूंकि इससे भूमि प्रदूषण नहीं होता। साथ ही चिता की लकडियो के साथ घी व अन्य सामग्री प्रयोग की जाती है जिससे वायु शुद्ध होती है। दाह संस्कार के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। एक ही स्थान पर कई दाह संस्कार किये जा सकते है। सनातन हिन्दू धर्म के साथ साथ जैन, बोद्ध व सिक्ख भी इसी प्रकार से दाह संस्कार करते है।

*क्यों लगाया जाता है सिंदूर*
शादीशुदा महिलाएं सिंदूर लगाती हैं।
वैज्ञानिक तर्क : सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है। चूंकि इससे यौन उत्तेजनाएं भी बढ़ती हैं, इसीलिये विधवा औरतों के लिये सिंदूर लगाना वर्जित है। इससे स्ट्रेस कम होता है।

*व्रत रखना*
कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं।
वैज्ञानिक तर्क : आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सी फिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।

*सूर्य नमस्कार*
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क : पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।

*दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना*
दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें।
वैज्ञानिक तर्क : जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

*दीपक के ऊपर हाथ घुमाना*
वैज्ञानिक कारण : आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।

*महिलाये क्यों पहनती है बिछिया ?*
वैज्ञानिक तर्क : पैर की दूसरी ऊँगली में चांदी का बिछिया पहना जाता है और उसकी नस का कनेक्शन बच्चेदानी से होता है| बिछिया पहनने से बच्चेदानी तक पहुचने वाला रक्त का प्रवाह सही बना रहता है इससे बच्चेदानी स्वस्थ बनी रहती है और मासिक धर्म नियमित रहता है |  चांदी पृथ्वी से ऊर्जा को ग्रहण करती है और उसका संचार महिला के शरीर में करती है |

*जयतु वैदिक विज्ञान...*
*जयतु  सनातन वैदिक धर्म...*

*वैदिक धर्म...विश्व  धर्म...*?



 

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जय श्रीराम⛳⛳
वन्देमातरम्⛳⛳
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