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आयुर्वेदामृतम् - Printable Version

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आयुर्वेदामृतम् - Shrey jain - 05-22-2020

पुराने समय की कहावत है - - -
बुजुर्गों के अनुभव व आयुर्वेद के अनुसार पथ्य अपथ्य का निर्धारण ऋतु व समय के अनुसार रखना उत्तम है।  वर्तमान में भी इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के दृष्टिकोण से पालन करना आवश्यक है ।
सादर प्रेषित है, कृपया सहेज कर रखें याद रखें।


चैते गुड़, वैसाखे तेल ।
जेठ के पंथ¹, अषाढ़े बेल ।।
सावन साग, भादौ दही²।
कुवांर करेला, कार्तिक मही³ ।।
अगहन जीरा, पूसै धना।
माघे मिश्री, फागुन चना।।
जो कोई इतने परिहरै।
ता घर बैद पैर नहीं धरै।।।।

किस माह में "अपथ्य" क्या है जो न खाएँ

_आयुर्वेद के आवश्यक निर्देश

चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं 
(15 march- 15 april)

बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
(16 April - 15 may)

जेठ माह में दोपहर में पैदल प्रवास ना करें (16 May-15 june)

अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं 
(16 june - 15 july)

सावन माह में साग न खाएं 
(16 july-15 August)

भादों माह में दही न खाएं 
(16 august-15 september)

क्वार माह में करेला न खाएं 
(16 september-15 october)

कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
(16 October-15 november)

मार्गशीर्ष, अगहन माह में जीरा न खाएं 
(16 November -15 December)

पूस माह में धनिया न खाएं 
(16 Dec- 15 jan)

माघ माह में मिश्री न खाएं 
(16jan-15feb)

फागुन माह में चना न खाएं
(16 feb- 14 march )

इनका पालन करें तो कभी बीमार नहीं होंगे।

आयुर्वेदामृतम्