अकर्मा दस्यु:।। ऋग्वेद १०।२२।८ - Printable Version +- Reiki and Astrology Predictions (https://www.reikiandastrologypredictions.com) +-- Forum: Menu (https://www.reikiandastrologypredictions.com/forumdisplay.php?fid=2) +--- Forum: Share your stuff (https://www.reikiandastrologypredictions.com/forumdisplay.php?fid=30) +--- Thread: अकर्मा दस्यु:।। ऋग्वेद १०।२२।८ (/showthread.php?tid=1736) |
अकर्मा दस्यु:।। ऋग्वेद १०।२२।८ - admin - 12-28-2021 अकर्मा दस्यु:।। ऋग्वेद १०।२२।८ कर्म न करने वाला मनुष्य राक्षस है। कर्म न करनेवाला व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन की तो हानि करता ही है अपितु वह समाज, देश व मानवता की उन्नति में भी बाधक होता है। ऐसी परिस्थितियों को समझकर महात्मा विदुर जी को कहना पड़ा था कि:- जो धनवान हो कर दान नहीं करता और जो निर्धन होकर पुरूषार्थ नहीं करता, उन दोनों के गले में (राजा द्वारा) भारी पत्थर की शिला बांधकर जल में डुबा देना चाहिए। धर्मात्मा राजर्षि चाणक्य जी के अनुसार:- निर्धन और अशिक्षित परिवार में पैदा होना कोई अपराध नहीं हैं, परन्तु निर्धन और अशिक्षित होकर मरना इस पृथ्वी का सबसे बड़ा अपराध है।(क्योंकि निर्धन और अशिक्षित व्यक्ति समाज में विकास नहीं करता। मनुष्य होकर जो विकास नहीं करता वह घोर अपराधी है। इसलिए मनुष्य को आत्मिक मानसिक बौद्धिक और आर्थिक विकास की तरफ ध्यान देना चाहिए।) सुप्रभात |